राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार कृत्रिम वर्षा कराने की मांग कर रही है। इसके लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र भी लिखे हैं। लेकिन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कहा है कि कृत्रिम वर्षा संभव नहीं है।
सीपीसीबी ने आईआईटी कानपुर के क्लाउड सीडिंग प्रस्ताव पर कहा कि हवा में अपर्याप्त नमी और पश्चिमी विक्षोभ से प्रभावित पहले से मौजूद बादलों पर निर्भरता के कारण क्लाउड सीडिंग संभव नहीं है।
सीपीसीबी ने कहा कि उत्तर भारत में, सर्दियों के मौसम में बादल अक्सर पश्चिमी विक्षोभ से प्रभावित होते हैं, और हवा में नमी की मात्रा कम रहती है, जिससे क्लाउड सीडिंग की संभावना सीमित हो जाती है।
सीपीसीबी ने कहा कि यह बहुत खर्चीला भी है। अनुमान के मुताबिक, प्रस्तावित प्रयोग पर करीब 3 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। बोर्ड का यह बयान ऐसे समय आया है जब दिल्ली सरकार लगातार केंद्र से कृत्रिम वर्षा कराने की अनुमति मांग रही है। गोपाल राय केंद्रीय मंत्री से इस पर विचार करने और बैठक बुलाने का आग्रह किया है।
इस बीच, सीपीसीबी ने कहा कि प्रस्तावित प्रयोग की अनुमानित लागत लगभग 3 करोड़ रुपये होगी। प्रस्ताव में न्यूनतम 100 वर्ग किमी का कवरेज क्षेत्र शामिल है और इसमें पांच उड़ानें (क्लाउड सीडिंग प्रयास) शामिल हैं। प्रस्ताव के हिस्से के रूप में 8 नवंबर 2023 को आईआईटी कानपुर के डॉ. मणिंद्र अग्रवाल और उनकी टीम द्वारा दिल्ली सरकार को एक प्रस्तुति दी गई थी।
प्रस्तुतिकरण में रक्षा, गृह और पर्यावरण सहित 12 प्रमुख एजेंसियों की भागीदारी को रेखांकित किया गया। आईआईटी कानपुर ने 2017 की गर्मियों के दौरान क्लाउड सीडिंग परीक्षण आयोजित किया, जिसमें कथित तौर पर सात प्रयासों में से छह में सफल वर्षा प्राप्त हुई।