केदारनाथ के कपाट बंद होने की रस्म, श्रद्धालुओं के लिए विशेष अवसर।

विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर्व यानी 3 नवम्बर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। सुबह ठीक 8.30 बजे के मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
शनिवार को विशेष पूजा अर्चना के बाद केदारबाबा की पंचमुखी डोली को मंदिर में विराजमान किया जाएगा। आगामी छह माह की पूजा अर्चना एवं भोले बाबा के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होंगे। वहीं बद्री-केदार मंदिर समिति मंदिर के कपाट बंद करने को लेकर तैयारियों में जुट गई है।
गत मंगलवार को केदारनाथ की पहाड़ी पर स्थित भैरवनाथ के कपाट बंद होने के बाद अब धाम के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। शनिवार को बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति की उत्सव डोली में विराजमान किया जाएगा।
• 3 नवम्बर यानी भैयादूज के अवसर पर परंपरा के अनुसार सुबह दो बजे से साढे़ तीन बजे तक भक्तों को जलाभिषेक करने की अनुमति दी जाएगी।
• इसके बाद गर्भ गृह में साफ सफाई की करने के बाद तड़के साढे़ चार बजे बाबा केदारनाथ को पूजा अर्चना, अभिषेक एवं आरती के साथ भोग लगाया जाएगा।
• जिसके बाद समाधि पूजा के उपरान्त भगवान को छह महीने के लिए समाधि दी जाएगी।
• ठीक सु‍बह छह बजे गर्भगृह के कपाट बंद किए जाएंगे।
• सभामंडप में स्थापित बाबा केदार की पंचमुखी डोली के सुबह 8:30 बजे मंदिर से बाहर आने के बाद पौराणिक विधिविधान के साथ मंदिर के मुख्य कपाट के साथ ही पीछे के कपाट को बंद कर सील किया जाएगा।
• इसी दिन बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली रात्रि प्रवास के लिए अपने पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी।
• 4 नवंबर को श्री केदारनाथ भगवान की चल-विग्रह डोली रामपुर से प्रातः प्रस्थान कर फाटा, नारायकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी।
• 5 नवंबर को चल-विग्रह डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर 11 बजकर 20 बजे अपने शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी।
• पूर्व परम्परा के अनुसार अपने गद्दी स्थल पर विराजमान होंगी। कपाट बंद करने को लेकर बद्री-केदार मंदिर समिति तैयारियों में जुट गई है।
• मंदिर समिति के प्रभारी अधिकारी वाईएस पुष्पाण ने बताया कि केदारनाथ के कपाट बंद करने को लेकर मंदिर समिति ने तैयारियां शुरू कर दी है।

 

 

 

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