देहरादून;- तहसील सदर क्षेत्र में ही 10 बड़े बकाएदार ही सरकार के करीब 50 करोड़ रुपए दबाकर बैठे हैं। वसूली के नाम पर बकाएदार नित नए बहाने बना रहे हैं और तहसील के कार्मिक भी वसूली को अपेक्षित प्रयास नहीं कर रहे। टॉप 50 बकाएदारों की बात की जाए तो यह राशि अरबों रुपए में पहुंच जाती है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने अब सरकार के बकाएदारों पर अपनी निगाह तिरछी कर ली है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने दो टूक कहा है कि पब्लिक मनी की लूट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने उपजिलाधिकारियों और तहसीलदारों से साफ तौर पर कहा है कि बड़े बकाएदारों से शत प्रतिशत वसूली 15 जनवरी तक पूरी कर ली जाए।
राजस्व वसूली को लेकर जिलाधिकारी सविन बंसल ने कलेक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने वसूली तेज करने के लिए समन तामील कराने को कहा। साथ ही निर्देश दिए कि बकाएदारों के विज्ञापन छपवाए जाएं और जमीनी स्तर पर भी भागदौड़ तेज की जाए।
डीएम ने कहा, कि अधिकारी अपने स्तर पर वसूली की प्रगति जांचने के लिए प्लान तैयार करें। नियमित समीक्षा करें और अधीनस्थों को काम में तेजी लाने के लिए प्रेरित करें। उन्हें लक्ष्य दिए जाएं और अपडेट लिया जाता रहे। जो बकाएदार अदायगी करने में कतरा रहे हैं, उनकी संपत्ति की कुर्की कर वसूली की जाए।
जिलाधिकारी ने सख्त लहजे में कहा कि कोई भी कार्मिक राजस्व वसूली को हल्के में न लें। उपजिलाधिकारी स्वयं अपने अपने क्षेत्रों में वसूली की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए निगरानी करें। अंत में उपजिलाधिकारियों और तहसीलदारों की ही जिम्मेदारी तय की जाएगी। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, अपर जिलाधिकारी प्रशासन जयभारत सिंह, अपर नगर आयुक्त बीर सिंह बुदियाल, उपजिलाधिकारी मसूरी अनामिका, उपजिलाधिकारी सदर हर गिरी, उपजिलाधिकारी ऋषिकेश स्मृता परमार, उपजिलाधिकारी विकासनगर विनोद कुमार आदि उपस्थित रहे।
तहसील सदर में दर्ज बड़े बकाएदारों की सूची में खनन कारोबारी से लेकर बिल्डर और शराब कारोबारियों के नाम शामिल हैं। हैरानी की बात यह भी है कि स्वजल जैसी सरकारी एजेंसी भी बड़े बकाएदारों में शामिल है। बताया जा रहा है कि एक बाद के निस्तारण के क्रम में स्वजन निदेशालय को उपनल से टेंट कर्मचारियों के वेतन के रूप में 9.62 करोड़ रुपए से अधिक की रकम अदा करनी है। आनाकानी की स्थिति में स्वजल निदेशालय की आरसी कटने की नौबत भी आ खड़ी हुई है। इसके अलावा स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग, रेरा और चिकित्सा विभाग के बकाएदार भी अदायगी से कन्नी काट रहे हैं।
जिलाधिकारी बंसल ने कहा कि आबकारी विभाग के बकाए के मामले में विभाग से सहयोग लिया जाए। बकाएदारों के आबकारी विभाग में दाखिल हैसियत प्रमाण पत्र और अन्य अभिलेखों से जानकारी लेकर संपत्ति कुर्क की जाए। वहीं, न्यायालय से स्थगनादेश वाले मामलों को पृथक किया जाए।
तहसील की बकाएदारों की सूची में एक नाम लंबे समय से दर्ज है। यह नाम राजीव कुमार पार्टनर मै. एबीएल प्रोजेक्ट्स राजपुर रोड के रूप में दर्ज है। जिस पर जीएसटी के चार अलग अलग प्रकरण में 23.81 करोड़ रुपए का बकाया चल रहा है।
बड़े बकाएदारों की सूची (तहसील सदर) बकाएदार, राशि, विभाग (जिसका बकाया है)
प्रदीप अग्रवाल, 12.93 करोड़ रुपए, खनिज
• राजीव कुमार, 11.48 करोड़ रुपए, जीएसटी
• निदेशक स्वजल, 9.62 करोड़ रुपए, श्रम
• राजीव कुमार, 5.46 करोड़ रुपए, जीएसटी
• राजीव कुमार, 5.87 करोड़ रुपए, जीएसटी
• ललित कुमार, 1.97 करोड़ रुपए, आबकारी
• राजीव कुमार, 98.63 लाख रुपए, जीएसटी
• सूरत सिंह, 52 लाख रुपए, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन
• मैं. ज्वाला (शमशेर सिंह), 20.47 लाख रुपए, रेरा
• नीतीश पंवार, 18.99 लाख रुपए, चिकित्सा